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सिंधिया के दबाव में कंषाना के खिलाफ चल रहे केस को वापस लेने की कोशिश, लेकिन कोर्ट का इनकार
कोर्ट ने कहा – इस केस को वापस लेना न तो न्याय के हित में है न ही जन हित में
भोपाल – भाजपा नेता एवं मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज सिंह कंषाना के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) और लूट के मामलों को रद्द करने के लिए सरकार की अर्जी कोर्ट ने भले ही रद्द कर दी है, लेकिन इसकी सियासत की तस्वीर बड़ी साफ है।
कंषाना ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। कहा जाता है कि सिंधिया के इशारे पर ही उनके खिलाफ चल रहे केस वापस लेने का फैसला हुआ। सरकार ने भी इस मामले में चीते जैसी फुर्ती दिखाई। 24 घंटे में नोटशीट पहुंचते ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के दस्तखत हो गए। हफ्तेभर में चिट्ठी कलेक्टर ग्वालियर से होकर लोक अभियोजन अधिकारी तक पहुंच गई और कोर्ट में अर्जी लग गई, लेकिन कोर्ट ने इस अर्जी को ये कहकर रद्द कर दिया कि इस केस को वापस लेना न तो न्याय के हित में है न ही जन हित में।
पिछले सप्ताह गृह विभाग की मंजूरी के बाद कंषाना पर दर्ज आपराधिक मामलों को खत्म कर दिया गया था। कोर्ट में सरकार की ओर से इन मामलों को रोकने की गुहार लगाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे न्यायसंगत न मानते हुए खारिज कर दिया।
जस्टिस एसके जोशी ने सुनवाई करते हुए कहा कि इन आपराधिक मामलों को रोकने की सहमति देना न तो न्याय हित में है और न ही लोकहित में।
18 अप्रैल को गृह सचिव गौरव राजपूत ने कंषाना पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने वाली नोटशीट गृहमंत्री के पास भेजी। इसमें जिला समिति मुरैना के अभिमत (दिनांक 20 मार्च 2023) का हवाला देते हुए लिखा गया था कि विशेष न्यायालय ग्वालियर में लंबित केस में 11 गवाहों में से 7 गवाह मुकर गए हैं। जिला समिति ने प्रकरण वापसी पर शासन स्तर पर विचार करने का आग्रह किया है। इसी प्रकार संचालक लोक अभियोजन एवं विधि विधायी कार्य विभाग द्वारा भी जो प्रकरण में शासन स्तर से विचार के लिए अनुरोध किया गया है। यह प्रकरण साल 2012 में हुई घटना से संबंधित है। अभियोग की ओर से भी बताया गया कि केस में आरोपियों की पहचान की कार्यवाही नहीं हुई है। यह नोटशीट एसीएस गृह होम डॉ. राजेश राजौरा ने आगे बढ़ाते हुए गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को भेजी और गृहमंत्री ने सहमति दे दी।